किसी की *"सलाह"* से रास्ते जरूर मिलते हैं पर....
मंजिल तो खुद की *"मेहनत"* से ही मिलती है ।
*"प्रशंसक"* हमें बेशक पहचानते होंगे,
मगर *"शुभचिन्तकों"* की पहचान खुद को करनी पड़ती है।
हँसते रहिए,
हंसाते रहिए,
सदा मुस्कुराते रहिए
✍" हम (इंसान)
हमेशा यह चर्चा करते हैं
और सोचते है कि
*भगवान है या नहीं*
लेकिन
कभी यह नहीं सोचा कि
*हम इंसान भी हैं या नहीं!!* ✍"परिस्थितियां कभी समस्या नहीं बनती, समस्या तभी बनती है जब हमें परिस्थितियोँ से निपटना नहीं आता ।"
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