एक पिता ने अपने बेटे को दो-तीन झापड़ रसीद कर दिए,
थोड़ी देर बाद प्यार से सॉरी बोल दिया।
बेटा:
डैड, एक कागज लो, उसे मोड़ो, रोल बनाओ। वापस उस
कागज को खोलो और देखो क्या वह पहले जैसा ही कड़क है
पिता: नहीं
बेटा:
सही कहा, रिश्ते भी ऐसे ही होते हैं। सॉरी से काम नहीं चलता।
पिता:
बेटा बाहर मेरा स्कूटर खड़ा है।
जाओ और उस पर एक किक मारो।
बताओ क्या वह स्टार्ट हुआ।
बेटा: नहीं हुआ।
पिता: अब तीन-चार किक मारो।
बेटा: स्टार्ट हो गया।
पिता:
तू भी वही स्कूटर है, कागज नहीं।
ज्ञान मत दे मुझे!
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